कोरोना वायरस मानव जीवन और इतिहास पर एक गहरा आघात दे गया है । देश के प्रथम श्रेणी के वैज्ञानिक एवं डॉक्टर इसके सामने बेबाक से लग रहे हैं । जब-जब सृष्टि पर किसी चीज की अति हुई किसी न किसी घोर संकट का प्रादुर्भाव अवश्य हुआ है । काल के प्रवाह में आज तक जब जब महामारी या कोई विकट परिस्थितियों का जन्म हुआ उसके पीछे मानव का बेपनाह स्वार्थ छिपा होता है । ऐसे में बात करें तो प्रकृति पर पिछले कुछ वर्षों से व्यापक स्तर पर प्रहार हुआ है । मानव के पास जो भी संसाधन आज मौजूद हैं वह प्रकृति की ही देन है । परन्तु आज मानव प्रकृति पर तो अघात कर ही रहा है साथ मे जैव विविधता का अस्तित्व को मिटाने पर तुला हुआ है । हम प्रकृति के संरक्षण की बात तो करते हैं परन्तु कहाँ तक ? दिन प्रतिदिन जीवों की प्रजातियों के लुप्त होना और कई प्राकृतिक धरोहरों को हमने स्वार्थ वश खो दिया है ।
- पर्यावरण से छेड़छाड़ का प्रभाव
- आर्थिक संकट
- शिक्षा क्षेत्र में प्रभाव
- उपसंहार-