राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने भारत में अपराध की वार्षिक रिपोर्ट– 2019 जारी की है।
NCRB की इस रिपोर्ट के अनुसार:
- अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के सदस्यों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि: 2018 के आंकड़ों की तुलना में 2019 में क्रमशः 7% और 26% से अधिक की वृद्धि हुई है।
- 2018 की तुलना में मामलों के पंजीकरण में 1.6% की वृद्धि हुई।
- 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ सर्वाधिक अपराध उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए। राजस्थान और बिहार क्रमशः द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर रहे।
- अनुसूचित जनजाति के खिलाफ सर्वाधिक अपराध मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए। इसके पश्चात राजस्थान और ओडिशा का स्थान था।
- अनुसूचित जाति से संबंधित महिलाओं के बलात्कार के मामलों में राजस्थान सर्वोच्च स्थान पर रहा। इसके पश्चात् उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का स्थान था।
- जनजातीय महिलाओं के बलात्कार की सर्वाधिक घटनाएं मध्य प्रदेश में दर्ज की गईं।
महिलाओं के खिलाफ कुल अपराध के आंकड़े:
2018 में 3,78,236 मामलों की तुलना में 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज किए गए, जो 7.3% की वृद्धि दर्शाता है।
साइबर अपराध के आंकड़े:
2019 में 63.5% की वृद्धि हुई। इसमें से 60.4% साइबर अपराध के मामले धोखाधड़ी के मकसद के लिए थे। इसके अतिरिक्त 5.1% मामले यौन शोषण से सम्बंधित थे।
सर्वेक्षण की कमियां क्या है:
राष्ट्रमंडल मानवाधिकार पहल (CHRI), जो कि एक पुलिस सुधार समर्थक समूह है, ने कहा कि कुछ मामले अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ विशिष्ट भेदभावपूर्ण कार्रवाई के लिए दर्ज किए जा रहे हैं।
दर्ज मामलों का कम प्रतिशत इंगित करता है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम), 1989 की धारा 3 के तहत अत्याचार के रूप में परिभाषित जाति और जनजातीय पहचान के आधार पर विशिष्ट भेदभावपूर्ण कार्रवाई का आरोप लगाये जाने वाले बहुत कम मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
ऐसे कृत्यों को मुख्य रूप से तब दर्ज किया जाता है, जब वे IPC में अन्तर्निहित किसी भी अपराध से सम्बंधित होते है।
इसके अलावा, अनुसूचित जातियों के खिलाफ अपराधों पर प्राप्त कुल शिकायतों पर कोई डेटा उपलब्ध नहीं है।