नमस्कार दोस्तों ! इस पोस्ट में हम जानेंगे कि लॉकडाउन क्या होता है, Lockdown क्यों लगाया जाता है और कब लगाया जाता है? इसके अलावे यहाँ लॉकडाउन के नियमों के बारे में जानेंगे। साथ ही लॉकडाउन और कर्फ्यू में क्या अंतर है यह भी जानने की कोशिश करेंगे। आइये शुरू करते हैं।
कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है। चूंकि, यह मौका देश के लोगों के सामने पहली बार आया है, इसलिए इसके बारे में आपके लिए जानना बहुत जरूरी है। इसके बारे में सही जानकारी होने से आपको इससे निपटने में काफी मदद मिलेगी।
लॉकडाउन होने पर आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर दूसरी सभी सेवा पर रोक लगा दी जाती है। भारत में महाराष्ट्र और राजस्थान में सबसे पहले लॉक डाउन किया गया, उसके बाद पंजाब और उत्तराखंड में लॉक डाउन करने की घोषणा कर दी गई। फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर में लॉकडाउन का एलान कर दिया था।
लॉकडाउन के बारे में पहले से ज्यादा जानकारी नहीं होने से कुछ लोग घबरा रहे हैं। खासकर इसकी कर्फ्यू से तुलना करने पर उनमें डर है। लेकिन, इससे आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
क्या होता है लॉकडाउन?
लॉकडाउन का अर्थ है तालाबंदी। लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था है जो किसी आपदा या महामारी के वक्त लागू की जाती है। जिस इलाके में लॉकडाउन किया गया है उस क्षेत्र के लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें सिर्फ दवा और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए ही बाहर आने की इजाजत मिलती है, इस दौरान वे बैंक से पैसे निकालने भी जा सकते हैं। जिस तरह किसी संस्थान या फैक्ट्री को बंद किया जाता है और वहां तालाबंदी हो जाती है उसी तरह लॉक डाउन का अर्थ है कि आप अनावश्यक कार्य के लिए सड़कों पर ना निकलें।
अगर लॉकडाउन की वजह से किसी तरह की परेशानी हो तो आप संबंधित पुलिस थाने, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक अथवा अन्य उच्च अधिकारी को फोन कर सकते हैं। लॉकडाउन जनता की सहूलियत और सुरक्षा के लिए किया जाता है। सभी प्राइवेट और कॉन्ट्रेक्ट वाले दफ्तर बंद रहते हैं, सरकारी दफ्तर जो जरूरी श्रेणी में नहीं आते, वो भी बंद रहते हैं।
लॉकडाउन के क्या नियम हैं?
भारत में डिजास्टर मैनेजमेंट कानून 2005 नियमों के तहत लॉकडाउन के मामलों से निबटा जाता है। लॉकडाउन के दौरान बिना इमरजेंसी के घर से बाहर निकलने पर इन धाराओं के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
धारा 188 के तहत मिलेगी सजा
लॉकडाउन के दौरान अगर आप बिना किसी वजह सिर्फ तफरी मारने के लिए घर से बाहर निकलते हैं तो धारा 188 के तहत आपको 1 महीने की जेल हो सकती है। इस धारा के तहत आपको जुर्माना और जेल दोनों की सजा हो सकती है। जुर्माने की राशि 200 रुपये तक हो सकती है।
धारा 144 के तहत एक साल की सजा
दिल्ली समेत कई शहरों में धारा 144 लागू कर दी गई है। धारा 144 किसी भी जगह पर हालात बिगड़ने की संभावना को देखते हुए लगाई जाती है। इस वजह से बिगड़ते हालात के कारण नागरिकों को किसी भी तरह का नुकसान ना पहुंचे।
धारा 144 लगे होने के बाद सड़क पर चार से ज्यादा लोग एक साथ खड़े नहीं हो सकते। अगर कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता है तो पुलिस उस व्यक्ति को धारा 107 या धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर सकती है। इसके साथ ही उसे एक साल तक की कैद की सजा दी जा सकती है, इस अपराध में जमानत हो सकती है।
लॉकडाउन से जुड़े अन्य नियम
अगर आप लॉक डाउन के दौरान लाभ पाने के लिए झूठ बोलते हैं या झूठा बहाना बनाते हैं तब भी आपको दो साल की जेल या जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
- लॉक डाउन में जरूरी सामान के अवैध भंडारण की स्थिति में भी जेल की सजा हो सकती है।
- अगर लॉक डाउन की अवधि में कोई जिम्मेदार अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करता है तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
- झूठी खबर या अफवाह फ़ैलाने के मामले में भी एक साल जेल की सजा हो सकती है।
लॉकडाउन और कर्फ्यू में अंतर
लॉकडाउन एक प्रशासनिक आदेश है।महामारी रोग अधिनियम, 1897 के तहत लॉकडाउन लागू है। यह अधिनियम पूरे भारत में लागू है।इसलिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत कर्फ्यू लगाया गया है।इस धारा को लागू करने के लिए जिलाधिकारी एक विज्ञप्ति जारी करते हैं।जहां पर यह धारा लगाई गई है वहां चार या इससे ज्यादा लोग इकट्ठा नहीं हो सकते हैं।
- कानूनी पक्ष पर, कर्फ्यू एक स्थापित प्रक्रिया रही है और प्रशासन के पास इसे लागू करने का अनुभव है।लेकिन, लॉकडाउन एक नया प्रयोग है इसलिए इसे व्यावहारिकता में लागू करते समय कुछ नई समस्याएं सामने आ सकती हैं।
- आम तौर पर लॉकडाउन में किसी भी तरह की सजा का प्रावधान नहीं है, लेकिन अगर कोई कर्फ्यू के दौरान धारा-144 का उल्लंघन करता है तो धारा-188 के तहत उसे चार महीने की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकता है.
- देश में संभवत: पहली बार लॉकडाउन का इस्तेमाल किया गया है, जबकि जरूरत के हिसाब से समय-समय पर कर्फ्यू का इस्तेमाल किया गया है।
- लॉकडाउन का उपयोग स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान किया जाता है जबकि कर्फ्यू का उपयोग तब किया जाता है जब प्रशासन में कानून-व्यवस्था की स्थिति की आशंका हो।